ये बातें बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने युसुफ मेहर अली की स्मृति में अयोजित परिचर्चा कार्यक्रम के अपने उद्घाटन भाषण में कही। संविधान दिवस के अवसर पर गत 26 नवम्बर, 2023 को राजद मुख्यालय स्थित कर्पूरी ठाकुर सभागार में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में समाजवादी नेता रघु ठाकुर, विजय प्रताप और एस.एन साहू का संबोधन खासतौर से उल्लेखनीय रहा। युसुफ मेहर अली के योगदान के साथ ही समाजवादी आंदोलन के विभिन्न पड़ावों के बारे में इन वक्ताओं ने अपने भाषण में विशेष तौर पर उल्लेख किया। इस कार्यक्रम को वृषिण पटेल और शिवानंद तिवारी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन रणविजय साहू और धन्यवाद ज्ञापन रितु जायसवाल ने किया। इस मौके पर तेजस्वी जी, और तीनों समाजवादी नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष द्वारा शाल और कर्पूरी ठाकुर के भाषणों की किताब भेंट की गई। कार्यक्रम में दर्जनों समाजवादी नेताओं के संक्षिप्त जीवनवृत्त, उनपर बनी डाक्यूमेंटरी और पोस्टरों से एक अलग ही वातावरण की सृष्टि हो रही थी। कार्यक्रम में ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ के गीत के बोल के साथ पर्दे पर प्रदर्शित विभिन्न समाजवादी नेताओं का जीवनवृत्त इसका खास आकर्षण थी। तेजस्वी प्रसाद यादव ने आगे कहा कि युसुफ साहब हमारे पुरखे रहे हैं। उनकी स्मृति में आयोजित यह परिचर्चा पार्टी द्वारा एक अच्छी परम्परा की शुरुआत है। आज की पीढ़ी को अपने पुरखों के बारे में जानना चाहिए। इससे सेक्युलरिजम की जो हमारी विचारधारा है उसकी जानकारी प्राप्त होगी। आज हिन्दू-मुसलमान और मंदिर-मस्जिद के नाम पर नफरत की राजनीति की जा रही है वैसी स्थिति में लोगों को हकीकत मालूम होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले पार्टी द्वारा अम्बेडकर परिचर्चा का आयोजन किया गया था, वह बेहद सफल कार्यक्रम सिद्ध हुआ था। आज युवा राजद के ग्राम चौपाल के दूसरे चरण का समापन हो रहा है। मैं पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों को धन्यवाद देता हूं कि आपने इतना बेहतर कार्यक्रम किया।
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम नौजवानों में वैचारिक प्रौढ़ता का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि समाजवाद की विरासत को राजद ने आगे बढ़ाया है लेकिन दक्षिणपंथी शक्तियों ने इसे भटका दिया है। हमें सचेत होकर उनका मुकाबला करना है। श्री सिंह ने कहा कि विचार की यात्रा जिस दिन रूक जाएगी बिना पानी के सूखी नदी की तरह हमारी राजनीति हो जाएगी।
वरिष्ठ समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने कहा कि आज का कार्यक्रम हिन्दुस्तान की भावी राजनीति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी आन्दोलन में बहुत लोग शामिल रहे हैं, इसकी एक झांकी आप लोगों ने अभी पर्दे पर देखी। इस आयोजन के माध्यम से जगदानंद सिंह और तेजस्वी प्रसाद यादव जी ने समूचे समाजवादी आन्दोलन को एकजुट करने का काम किया है। यह विरासत हमारी है इस विरासत पर कोई दूसरा दावा नहीं कर सकता। रघु ठाकुर ने माना कि जो मूल विचारधारा की विरासत है, वह हमारी विरासत है। वह जिसे हिन्दुस्तान की आजादी के जमाने से लेकर आज तक पहुंचाया है, ये सही मायने में भारतीय राजनीति का एक नया रूपांतरण है। ये रूपांतरण अगर वास्तव में लोगों के दिलों में उतर पाया तो फासीवादी शक्तियां उखड़ जाएंगी। अभी बिहार में लोकसभा 40 और उत्तर प्रदेश में 80 सीट हैं। हिन्दुस्तान के 200 ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें लोहिया का गाड़ा हुआ समाजवाद का बीज है। हमारी कुछ कमियां रही हैं, जिसका लाभ दक्षिणपंथी शक्तियां ले जा रही हैं।
प्रतिबद्ध समाजवादी एस.एन. साहू ने कहा कि आज का दिन मेरे जीवन की बहुत ही मूल्यवान घड़ी है क्योंकि आज मैं बिहार में आया हूं जहां से गांधी जी का पहला सत्याग्रह चंपारण से शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के बाद जातिगत गणना भारत के इतिहास की सबसे बड़ी घटना है। मुझे जब टेलीफोन आया बिहार आने के लिए तो मुझे बेहद खुशी हुई। ये मेरे लिए निमंत्रण नहीं है ये मेरे लिए बहुत ही सम्मान की बात है, गौरव की बात है मुझे बहुत सीखने के लिए मिलेगा और तेजस्वी यादव जी ने जो भाषण दिये हैं मुझे जो फील हुआ इम्पलायमेंट के बारे में, जो समाज के पिछड़े हैं उनके बारे में और अभी जो राजस्थान में चुनाव हुआ उसमें क्या नैरेटिव चला। हिन्दू मुस्लिम नैरेटिव और ये जो नैरेटिव है इसे ध्वस्त करने के लिए काफी है। जब मुझे खबर मिली कि युसुफ मेहर अली जी को याद किया जाएगा तो मैं प्रो. मधु दंडवते की एक किताब साथ लाया हूं। युसुफ मेहर अली जी का जबरदस्त मोनोग्राफ है। इस पुस्तक के पेज 60 में लिखा है कि युसुफ मेहर अली 27 दिसम्बर 1941 में पटना आये थे। युसुफ मेहर अली ने ही अंग्रेजों भारत छोड़ो और साइमन गो बैक का नारा दिया था। मुझे दुख हो रहा है ये कहने में कि साइमन कमीशन को तमिलनाडु और उड़ीसा में सपोर्ट मिला था। और मैं ये भी पढ़ा हूं कि साइमन कमीशन को सपोर्ट करने के बाद उड़ीसा बना था स्वतंत्रत प्रदेश, ये है इतिहास हमारा। लेकिन युसुफ मेहर अली जी ने 1928 में साइमन गो बैक का नारा दिया था तो ये इतिहास हमको जानना जरूरी है। भारत छोड़ो आन्दोलन से पहले उन्होंने एक सत्याग्रह शुरू किया था उसका नाम था व्यक्तिगत सत्याग्रह। वह इसलिय किया था कि उस समय ब्रिटिश सरकार ने जो प्रेस के ऊपर सेंशरशीप लगाया था उस सेंशरशिप के खिलाफ यह आंदोलन किया गया था। युसुफ मेहर अली, विनोबा भावे, जवाहरलाल नेहरू ये लोग व्यक्तिगत सत्याग्रह करने वालों में थे तो पटना में 30 हजार व्यक्तिगत सत्याग्रहियों ने हिस्सा लिया था। इसमें बहुत सारे लोग जेल में गये। उन्होंने छात्रों को कहा कि छात्रों को राजनीति में भाग लेना चाहिए।
वरिष्ठ समाजवादी नेता विजय प्रताप ने भी इस मौके पर अपना विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि हमारे बड़े वैचारिक नेता लोहिया 57 साल के उम्र में चले गये और युसुफ मेहर अली 47 साल के उम्र में ही चले गये, लेकिन उन्होंने जिस तरह का काम किया और जिन मुद्दों पर काम किया उसमें से कई आज तक अधूरे पड़े हैं। असंगठित क्षेत्र के लोगों को संगठित करके उनके लिए काम के आठ घंटे का समय का मानक हो या उनकी चिकित्सा की सुविधा दिये जाने का मामला इसपर उन्हीं के प्रयत्नों से कानून बनाये गए। इसी तरह से विकेन्द्रीकरण के मुद्दे पर नगरपालिकायें कैसे स्वयात हों, उनको अपने अधिकारी नियुक्त करने का कैसे अधिकार मिले, इस पर उन्होंने जब वे विधान सभा के सदस्य थे तो प्रस्ताव रखा था जो वहां की उस समय की सरकार थी, उन लोगों ने माना नहीं, लेकिन उसके बार में प्रखर ढंग से उन्होंने अपनी बात को रखा था। वह कोई भी बात जो कहते थे बिना स्वाध्याय के, बिना समझदारी के नहीं कहते थे। उन्होंने दुनिया भर की सफल नगरपालिकाओं का अपने भाषण में उल्लेख किया है। उन्होंने वियना का जिक्र किया है साथ ही जब वह मुंबई में 1942 में मेयर बने थे तो सबसे युवा मेयर बने थे और वह जेल में थे तब वह चुनाव जीते थे। उस समय के अनुभव और दुनिया भर की सफल नगरपालिकाओ के अध्ययन के बाद के अनुभव से वे मेयर बने थे। युसुफ मेहर अली के सत्ता के विकेन्द्रीकरण के बाद ही लोहिया जी ने चौखंभा राज्य का एजेंडा प्रस्तुत किया था। उसी तरह से सोशलिस्ट पार्टी ने जब भूमि सेना का प्रस्ताव दिया तो इसका आइडिया भी युसुफ मेहर अली साहब 1950 से पहले विधान सभा में भूमि विषयक प्रस्ताव में रख चुके थे। विजय प्रताप ने कहा कि भूमि सेना आप जानते हैं जो भूमिहीन होगा, भूमि सेना बनेगी तो सबसे ज्यादा फायदा उसी को होगा।
समाजवादी आंदोलन की चर्चा करते हुए विजय प्रताप ने बतलाया कि हमारे यहां जाति का जो आर्थिक पक्ष है उसके बारे में शुरू से ही कम्युनिष्टों से भी बहुत पहले से समाजवादियों ने इसकी लड़ाई लड़ी। इसका जो सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष है उसकी लड़ाई भी समाजवादी आन्दोलन ने बाद में लड़ी, लेकिन आज उसका विवरण नहीं है लेकिन इतना मैं जरूर कहूंगा कि अभी जो जनगणना की बात हो
रही है उसके पीछे दृष्टि वही है कि जो हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन की दृष्टि थी कि सर्वोदय और अन्त्योदय की तरह पूरे समाज और अन्तिम आदमी को उठाना है। अक्सर लोग या तो सिर्फ सामाजिक ढंग से आजादी की लड़ाई लड़ते हैं, दलित अधिकार की बात करते हैं या राजनीतिक आजादी अंग्रेजो के खिलाफ लड़े। और अब जो भी सत्तारूढ दल हो उनके खिलाफ लड़ने की बात करते हैं, लेकिन गांधी की धारा को मानने वाले लोग और समाजवादी लोग इन दोनों चीजों राजनीतिक आजादी और सामाजिक आजादी की लड़ाई एक साथ लड़ते रहे हैं ये हमारी खासियत है और ये जो जनगणना की बात हो रही है जातीय आधार पर उसके पीछे भी न्याय की बात है किसी समाज के प्रति अन्याय नहीं होना है उसके पीछे जो दृष्टि है वो न्याय की है पूरे समाज को न्याय मिले और समाजवादी आन्दोलन एक ऐसा आन्दोलन है जिसमें तथाकथित अगड़े घर में पैदा हुए लोगों ने ‘पिछड़ा पावे सौ में साठ’ की लड़ाई लड़ी थी और पूरी राजनीति का चरित्र बदला था उसमें अगड़े लोगों की भागीदारी थी क्योंकि उसके पीछे डॉ. लोहिया की ये दृष्टि थी कि पूरे समाज में जाति का जो अवगुण है, वो सबके दिमाग को सिकोड़ देता है वो अवसर के जो मौके हैं चाहे किसी भी जात का हो, अगड़ा हो, पिछड़ा हो, को कमजोर करता है तो जाति तोड़ों के नजरिये से जाति जनगणना हो रही है। जिसमें सभी समाज के लोगों को हर जाति के हर तबके के लोगों को समझना चाहिए कि हमारे समाज को आगे बढ़ाया जाएगा अगर न्याय होगा तो समाज के सब लोग पूरे ताकत से काम कर सकेंगे।
विजय प्रताप ने माना कि आजादी के बाद समाजवादी आन्दोलन अकेला ऐसा आन्दोलन है जिसने जाति की और वर्ग की, धन की और सामाजिक प्रतिष्ठा की दोनों की बुराईयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, संघर्ष किया और अब वो संघर्ष ऐसे पड़ाव पर है जब हम सामाजिक रूप से समतामूलक समाज बना पायेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आखिरी बात मैं ये कहना चाहता हूं कि ये सब जो विरासत के बारे में हम बात कर रहे हैं उसमें मानव की जो परिकल्पना है वो सिर्फ राजनीति और सत्ता नहीं है पहली बात और दूसरी बात सत्ता पाने का संकल्प है समाज को बदलने के लिए, एक संकल्प शक्ति है, उस संकल्प से हमलोगों ने अपने दल बनाये हैं लेकिन राजनीतिक सत्ता ही सबकुछ नहीं है ऐसा समाजवादी मानते रहे हैं और युसुफ मेहर अली इसका उदाहरण थे। 1930 में युसूफ मेहर अली जब अमेरिका में गये थे तो वो लिखते हैं कि अमेरिका के पहले के जितने भी बौद्धिक वर्ग था साहित्यकार, कलाकार, राजनीतिक शास्त्री, दर्शनशास्त्री उन सबको खोज-खोज कर मिलते थे और कोई व्यक्तित्व, कोई धारा ऐसी नहीं थी जिस पर वो परांगत रूप से बात न कर सकें। कला के बारे में, प्रकृति के बारे में, पर्यावरण के बारे में यानि युसुफ मेहर अली सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के नायक नहीं थे, नया इंसान कैसे बनेगा, वो समग्र रूप से उसका सौन्दर्यबोध क्या होगा, उसका नैतिक पराक्रम क्या होगा, उसकी नैतिकता की प्रखरता क्या होगी इस सब के बारे में भी युसूफ मेहर अली और पूरा समाजवादी आन्दोलन बहुत सजग था।
राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष वृषिण पटेल ने कहा कि युसुफ मेहर अली समाजवाद के चमकते हुए नक्षत्र थे। उनके काम को पूरा देश जानता है, लेकिन 90 प्रतिशत लोग उन्हें नहीं जानते। आसमान में बिजली चमकी, बारीश हुआ, उसी का नाम है मेहर अली। अंग्रेजों भारत छोड़ो और साइमन गो बैक का नारा उन्हीं का था। गांधी ने सन 1942 में उन्हीं के नारे को आत्मसात किया। देश आजाद हुआ तो समाजवादियों के नेतृत्व में संविधान का सेकुलर ढांचा तैयार हुआ। भाजपा ने इस संविधान की जगह मनुस्मृति के संविधान की वकालत की। लोहिया के नेतृत्व में पिछड़ा पावै सौ में साठ की लड़ाई शुरू हुई। इसी के बाद काका कालेलकर आयोग, मुंगेरी लाल आयोग और बीपी मंडल आयोग के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। 90 में बीपी मंडल की रिपोर्ट को प्रध ानमंत्री बीपी सिंह ने लागू किया तो देश में तूफान खड़ा कर दिया गया। मंडल कमीशन की काट में भाजपा ने रामरथ यात्रा निकाली। लालू जी ने उस रथ को बिहार में रोक दिया और आडवाणी को जेल भेज दिया।
धर्म की चर्चा करते हुए श्री पटेल ने लोहिया के हवाले से कहा कि वे कहा करते थे कि धर्म में जो हीरा मोती है उसे ले लो और कूड़ा-कचड़ा छोड़ दो। यह दुर्भाग्य है कि हम कूड़ा बटोरने में लगे हैं।
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि आज हमलोग समाजवादी आंदोलन के एक चमकते हुए सितारे को याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1942 की लड़ाई का नारा उनका ही दिया हुआ नारा था। इसी तरह साइमन कमीशन जब भारत आया तो साइमन गो बैंक का नारा भी उन्होंने ही दिया। वे साधारण आदमी नहीं थे। उनकी नौजवानों की एक जमात थी। जब शासन को पता चला कि ये लोग इनका विरोध करेंगे तो सरकार ने कड़ी चाक-चौबंद लगा दी फलतः उन्होंने जहाज से ही साइमन का विरोध करने की रणनीति बना ली। उनकी शख्सियत का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जेपी उनके घर ठहरते थे। इस तरह का आत्मीय संबंध जेपी का युसुफ साहब के साथ था। शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस देश को आजाद करने के लिए लोगों ने कई तरह की कुर्बानियां दी, जेपी हजारीबाग जेल से फरार हुए और जंगल-जंगल भटके लेकिन आज की नरेंद्र मोदी सरकार इस देश को फासीवाद की ओर ले जा रही है।
इस कार्यक्रम में उदय नारायण चौधरी, अशोक सिंह, कांति सिंह, श्याम रजक, तनवीर हसन, शिवचंद्र राम, बीनु यादव शक्ति सिंह यादव, शमीम अहमद, रामवृक्ष सदा, सत्यबहादुर कुशवाहा एवं सुदय यादव भी मंच पर उपस्थित थे।